कुमारी सैलजा ने बताई कांग्रेस की चुनावी रणनीति, कहा- किसान, गरीब, मजदूर, यूथ, स्वास्थ्य, शिक्षा हमारे स्ट्रेटजी में है शामिल…

नेहा केसरवानी, रायपुर। 15 साल बीजेपी के बाद बहुमत से हमारी सरकार बनी है. उस समय क्या नजारा था, और अभी कांग्रेस क्या दे रही है. हमारे स्ट्रेटजी में यूथ, किसान, गरीब, मजदूर, शहर के लोग, स्वास्थ्य, शिक्षा की बातें हों. यही स्ट्रेटजी हैं, हमारा काम बोलेगा. इसके अलावा कई नियुक्ति बाकी है, उस पर हमारा डिस्कशन चल रहा है. यह बात छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा ने सीएम हाउस में सात घंटे तक चली बैठक को लेकर कही.

कुमारी सैलजा ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि सभी सीनियर नेता आपस में बैठकर बात किए, इससे पार्टी को फायदा ही होता है. पार्टी की बैठक करेंगे तो आगे के लिए डिसकस होगा, यह प्रोसेस है. हम पिछले 5 साल से स्ट्रेटजी बना रहे हैं. हम ऐसा क्या काम करेंगे कि लोगों के बीच में जाकर लोग खुद देखेंगे.

बर्दाश्त नहीं करेगी छत्तीसगढ़ जनता

मणिपुर की तुलना छत्तीसगढ़ से करने पर कुमारी सैलजा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग क्या इस बात को बर्दाश्त करेंगे कि मणिपुर के साथ छत्तीसगढ़ को कंपेयर किया जा रहा है? पीयूष गोयल यहां के लोगों का अपमान कर रहे हैं. प्रधानमंत्री औऱ सीनियर नेता हैं, उन्हें एहसास होने लगा है कि उनके नीचे की जमीन कमजोर है. उनकी बातों में रिफ्लेक्ट होने लगा है. संसद में इस मुद्दे पर डिस्कशन होगा तो छत्तीसगढ़ का मामला भी उठाएंगे. कैसे प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों ने नेताओं ने कैसे कंपेयर कर लिया छत्तीसगढ़ को मणिपुर के साथ.

संसद में सहयोग के लिए हम तैयार

छत्तीसगढ़ प्रभारी ने कहा कि मणिपुर में आग लगी है और आग बुझाने का मलहम लगाने का कोई प्रयास नहीं हो रहा, उल्टा यहां आकर भड़काऊ बातें की जा रही है. हम संसद में पूरा कॉर्पोरेट करने को तैयार हैं. अपोजीशन पार्टी कॉर्पोरेट करने को तैयार है. यह सरकार की जिम्मेदारी होती है. प्रधानमंत्री आ जाते हो संसद तो चलना चाहिए. संसद चलाना इनकी मंशा नहीं है. पिछली बार भी बलि चढ़ा दिया. सत्तापक्ष के कारण संसद नहीं चली संसद में उनको विश्वास नहीं है. संसदीय प्रणाली में विश्वास नहीं है, खुद कार्रवाई रोक देते हैं. प्रधानमंत्री संसद की इज्जत नहीं करते हैं.

किसान प्रणाम योजना पर प्रतिक्रिया

केंद्र के किसान प्रणाम योजना पर प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते थे कि किसानों के कर्ज माफ नहीं होना चाहिए, क्योंकि वह आलसी हो जाते हैं. देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लाखों करोड़ों रुपए माफ करते हैं तो क्या उनको आलसी कहना चाहेंगे? किसान हमारा अन्नदाता है, आज उसके लिए क्या सोच लेकर आए हैं. ये लोग खोखले स्लोगन देते हैं.

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